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बिहार की राजनीति में एक नई परिवर्तनकारी चर्चा का केंद्र बना हुआ है कैबिनेट विस्तार। इस मुद्दे पर लगभग 11 महीने से विवाद चल रहा था। नीतीश कुमार और Tejashwi के बीच अपनी-अपनी राजनीतिक धारणाओं के कारण यह फैसला टाला जा रहा था। लेकिन अब दोनों नेताओं ने 24 घंटे के भीतर एक सहमति बनाकर इस मुद्दे को सुलझा लिया है। आइए जानते हैं कि इस पूरे मामले की पृष्ठभूमि क्या थी और अंतिम फैसले तक पहुंचने में क्या राजनीतिक खेल चले।

पृष्ठभूमि: 11 महीने का इंतजार

बिहार की वर्तमान सरकार जनता दल-यूनाइटेड (JD-U) और राष्ट्रीय जन समूह (RJD) के गठबंधन के तहत काम कर रही है। इस गठबंधन का नेतृत्व नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव कर रहे हैं। गत वर्ष से बातचीत चल रही थी कि कैबिनेट में नए मंत्रियों का विस्तार किया जाए। लेकिन इस बात पर दोनों पक्षों में एकमत नहीं बन पा रहा था।

नीतीश कुमार का दावा था कि कैबिनेट विस्तार में JD-U को अधिक सीटें मिलनी चाहिए, क्योंकि उनकी पार्टी सरकार का प्रमुख है। दूसरी ओर, तेजस्वी यादव ने अपनी पार्टी RJD के लिए अधिक सीटें मांगीं, क्योंकि RJD ने गत चुनाव में अधिक सीटें जीती थीं। इस तरह की विवादास्पद स्थिति के कारण कैबिनेट विस्तार का मुद्दा बार-बार टाला जाता रहा।

24 घंटे में सहमति कैसे बनी?

हालांकि इस मुद्दे पर लंबे समय से विवाद चल रहा था, लेकिन अचानक नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने 24 घंटे के भीतर सहमति बनाकर इसे सुलझा लिया। यह सहमति बनाने के पीछे कई राजनीतिक कारण थे।

  1. राजनीतिक दबाव:
    बिहार की जनता ने इस मुद्दे पर सरकार को दबाव डाला था। लोगों को लग रहा था कि सरकार के अंदर आपसी झगड़े के कारण विकास कार्यों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में दोनों पक्षों ने अपनी राजनीतिक छवि को बचाने के लिए इस मुद्दे को तुरंत सुलझाने का फैसला लिया।
  2. आगामी चुनावों का दबाव:
    बिहार में आगामी पंचायत और लोकसभा चुनावों का दबाव भी इस सहमति के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण था। दोनों पार्टियों को पता था कि अगर वे अपने बीच झगड़े को जारी रखते हैं, तो यह उनके चुनावी प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ सकता है।
  3. संतुलित विभाजन:
    अंततः दोनों पक्षों ने एक संतुलित विभाजन पर सहमति बनाई। इसके तहत JD-U को 5 और RJD को 6 मंत्रियों की नियुक्ति की जाएगी। इसके अलावा, छोटे गठबंधन साझेदारों को भी कुछ मंत्रियों के पद दिए जाएंगे

सहमति का महत्व

इस सहमति का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह बिहार की सरकार को एक नई ऊर्जा प्रदान करेगी। अब नए मंत्रियों के साथ कैबिनेट में अधिक लोगों का शामिल होना सरकार की कार्यक्षमता को बढ़ाएगा। इसके अलावा, यह सहमति बिहार की जनता के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि अब सरकार का ध्यान विकास कार्यों पर अधिक केंद्रित होगा।

आगे की रणनीति

अब जब कैबिनेट विस्तार का फैसला हो चुका है, तो अगला चरण नए मंत्रियों की नियुक्ति है। इसके लिए दोनों पार्टियों के नेताओं ने अपने-अपने दलों के अंदर चर्चा शुरू कर दी है। इस बात की संभावना है कि जल्द ही नए मंत्रियों की शपथ ली जाएगी।

निष्कर्ष

बिहार कैबिनेट विस्तार का मुद्दा एक लंबे समय से चला आ रहा था। लेकिन नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच एक संतुलित सहमति बनाकर इसे सुलझा लिया गया है। यह फैसला न केवल बिहार की सरकार के लिए बल्कि पूरे राज्य के लिए एक सकारात्मक कदम है। अब देखना होगा कि नए मंत्रियों के साथ सरकार किस तरह से विकास कार्यों को आगे बढ़ाती है और जनता की उम्मीदों पर खरी उतरती है। Read More..

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